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Sunday 4 March 2018

What is Switch in Hindi

What is Switch in Hindi :-

                                                                    हेलो दोस्तों मै गौरव पाठक एकबार फिर से Hindi Jankari में आप सभी लोगो का स्वागत करता हूँ। आज के लेख में आप सभी लोगो को Switch के बारे में बताने जा रहा हूँ। 

                                                                              

स्विच क्या है :-
                      स्विच एक ऐसा उपकरण है, जो अधिक दक्षता के साथ दो नेटवर्को के बीच ब्रिज सुविधा उपलब्ध कराता है, स्विच किसी लोकल एरिया नेटवर्क के विभिन्न सिग्मेंटो के बीच एक मल्टीपोर्ट ब्रिज की तरह कार्य कर सकता है, किसी स्विच को जब कोई फ्रेम या पैकेट प्राप्त होता है। तो वह उसे प्राप्तकर्ता अर्थात आने वाली लिंक के बफर में स्टोर कर देता है, और जाने वाली लिंक का पता लगाने के लिए उसके डेस्टिनेशन का एड्रेस देखता है, यदि वह जाने वाली लिंक खाली है,तो कॉलिजन की सम्भावना नहीं होती है, इसलिए तत्काल वह उस पैकेट को उस लिंक को प्रेषित कर देता है। स्विचों को प्रायः नेटवर्क स्विच भी कहा जाता है, स्विच को उनके कार्य के आधार पर दो प्रकार से डिज़ाइन किया जाता है, स्टोर एंड फॉरवर्ड(Store and Forward) तथा कट थ्रू (Cut Through) 
कोई स्टोर एंड फॉरवर्ड स्विच आने वाले फ्रेम को इनपुट बफर में स्टोर करता रहता है, जबतक की पूरा पैकेट नहीं आ जाता, दूसरी तरह कट थ्रू स्विच पैकेट को आउटपुट बफर के लिए भेज देता है, जैसे ही उसे डेस्टिनेशन का पता प्राप्त होता है। इसके अतरिक्त एक तीसरे प्रकार की भी स्विच होती है, जिसे फ्रेगमेंट फ्री(Fragment Free) कहा जाता है। यह स्विच उपरोक्त दोनों प्रकार की स्विचों का कार्य कर सकती है, इस स्विच में किसी फ्रेम की पहली 64 बाइटो की जांच की जाती है, जहाँ पतों की सूचनाएं(Addressing Information) स्टोर की जाती है, यदि पहली 64 बाइटो में कोई कॉलिजन उत्पन्न नहीं होता, तो फ्रेम को सीधे आउटपुट पोर्ट को भेज दिया जाता है। 
स्विच सामान्यतः हमेशा ही फुल डुप्लेक्स अवस्था(Full-Duplex Mode) में कार्य करते है, इसका अर्थ है कि वे एक ही समय में फ्रेम प्राप्त भी कर सकते है और भेज भी सकते है, यदि उनसे जुड़ा हुआ कोई उपकरण हाफ डुप्लेक्स अवस्था में कार्य करने वाला होता है,तो स्विच भी उन्ही के अनुसार कार्य करने लगते है। इसका अर्थ है कि वे एक समय में या तो डाटा प्राप्त करते है, या भेजते है, अधिकांश आधुनिक स्विच अपने से जुड़े हुए उपकरणों जैसे-इंटरनेट टेलीफ़ोन या वायरलेस एक्सेस पॉइंट(WAP) को स्वयं आवश्यक पॉवर सप्लाई करते है, क्योकि स्विच यूपीएस से पॉवर प्राप्त  करते है, इसलिए बिजली न रहने पर भी स्विच और उनसे जुड़े उपकरण कार्य करते रहते है। 

                                                                                  

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स्विच के प्रकार :-

1. Unmanaged Switch :-
                                         यह साधारण प्रकार की स्विच होती है, जिनमे कॉन्फिग्रेशन करने का कोई इंटरफ़ेस या विकल्प नहीं होते, ये प्लग एंड प्ले प्रकार के उपकरण होते  है,ऐसे स्विच सामान्यतः सबसे सस्ते होते है, इनका उपयोग घरो में,छोटे-छोटे ऑफिस में किया जाता है। 

2. Managed Switch :-
                                    इन स्विचों के कार्यो को नियंत्रित करने या सुधारने की एक या अधिक विधियाँ होती है, अधिक प्रचलित विधियों में कोई सीरियल कंसोल या कमांड लाइन इंटरफ़ेस अंतनिर्हित सिंपल नेटवर्क मैनेजमेंट प्रोटोकॉल(SNMP) वेब इंटरफ़ेस आदि होते है। ऐसे स्विचों के कॉन्फिग्रेशन में कई परिवर्तन किये जा सकते है, जैसे-स्पॅनिंग ट्री प्रोटोकॉल जैसी विशेषताओ को सक्रिय करना, पोर्ट स्पीड सेट करना, Virtual LAN बनाना या सुधारना आदि। 
मैनेज्ड स्विच भी दो प्रकार के होते है, स्मार्ट या इंटेलीजेंट स्विच और एटरप्राइज मैनेज्ड या फूली मैनेज्ड स्विच 
स्मार्ट स्विच में सिमित विशेषताए होती है, कीमतों को कम रखने के लिए उन स्विचों को वेब द्वारा नियंत्रित किया जाता है, दूसरे प्रकार के स्विचों में सभी प्रकार की विशेषताए होती है, इनका मूल्य भी अपेक्षाकृत अधिक होता है। 

3. Routing Switch :-
                                  आजकल बाजारों में स्विचों की एक नयी पीढ़ी पायी जाती है, जिसमे राऊटर और ब्रिज दोनों की क्षमताये होती है, जिन्हे राउटिंग स्विच कहा जाता है, ये स्विच नेटवर्क लेयर के डेस्टिनेशन एड्रेस का उपयोग आउटपुट लिंक ज्ञात करने के लिए करते है। 

4. Circuit Switch :-
                                सर्किट स्विच एक ऐसी स्विच तकनीक है, जिसमे दो या दो से अधिक डिवाइसो के मध्य point to point फिजिकल कनेक्शन बनाया जाता है, दूसरे शब्दों में कहे तो, सर्किट स्विच में सेन्डर तथा रिसीवर के मध्य एक फिजिकल कनेक्ट स्थापित किया जाता है। जब एकबार सेन्डर तथा रिसीवर के मध्य फिजिकल कनेक्शन स्थापित हो जाता है, तो सारा डाटा/सूचना इससे ट्रांसमिट किया जाता है। 
उदाहरण- टेलीफ़ोन सिस्टम, जिसमे सेन्डर तथा रिसीवर फिजिकल कनेक्शन(जैसे-वायर) से जुड़े होते है. 
सर्किट स्विच में डाटाग्राम तथा डाटास्ट्रीम दो प्रकार से डाटा ट्रांसमिट होता है। 

5. Packet Switch :-
                               पैकेट स्विच में मैसेज को छोटे भागो में विभाजित कर दिया जाता है, मैसेज के इन छोटे भागो को पैकेट कहते है, तथा प्रत्येक पैकेट के पास अपना एक सोर्स तथा डेस्टिनेशन एड्रेस होता है, तथा प्रत्येक पैकेट को इन एड्रेस के आधार पर ही नेटवर्क में आगे ट्रांसमिट किया जाता है। जब सभी पैकेट डेस्टिनेशन पर पहुंच जाते है, तो यह सभी फिर से ओरिजिनल(वास्तविक) मैसेज में बदल जाते है, पैकेट स्विचिंग में नेटवर्क पैकेट को FCFS(First Come First Serve) के आधार पर एक्सेप्ट करता है, अर्थात जो पैकेट पहले पहुँचता है, उसे सबसे पहले सर्वे किया जाता है। 
पैकेट स्विचिंग का प्रयोग सर्किट स्विचिंग के विकल्प के तौर पर किया जाता है। 

6. Message Switch :-
                                   मैसेज स्विच में सेन्डर तथा रिसीवर के मध्य किसी विशेष मार्ग को स्थापित करने की जरुरत नहीं होती है, मैसेज स्वीचिंग में जब कोई मैसेज भेजा जाता है तो उसके साथ उसका डेस्टिनेशन एड्रेस भी रहता है, इसमें मैसेज को एक नोड से दूसरे नोड पर ट्रांसमिट किया जाता है। जब नोड पूरा मैसेज प्राप्त कर लेता है, तो वह उसे स्टोर कर लेता है, तथा जब दूसरा नोड मैसेज को रिसीव करने के लिए तैयार हो जाता है, तो मैसेज को उसे फॉरवर्ड कर देता है, इस कारण मैसेज स्वीचिंग को स्टोर फॉरवर्ड स्विचिंग भी कहते है। ईमेल मैसेज स्विचिंग सिस्टम का एक उदाहरण है, तथा इस स्विचिंग को सर्वेप्रथम 1961 में प्रस्तावित किया गया था। 

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